Weather Based Crop Insurance Scheme
Weather Based Crop Insurance Scheme
|

Weather Based Crop Insurance Scheme: किसानों की फसल की सुरक्षा के लिए एक क्रांतिकारी योजना

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Spread the love

Weather Based Crop Insurance Scheme: भारत में किसान अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर होते हैं। भारतीय मौसम की अनिश्चितताओं के कारण किसानों को हर साल फसल नुकसान का सामना करना पड़ता है, जिसमें बारिश की कमी, अत्यधिक बारिश, असमय बरसात, और तेज हवाएं जैसी समस्याएं शामिल हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने Weather Based Crop Insurance Scheme (WBCIS) की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को मौसम की प्रतिकूल स्थितियों के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाना है। यह योजना किसानों के फसल नुकसान की भरपाई करने के लिए मौसम के संकेतकों को आधार बनाकर मुआवजा देती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि WBCIS योजना क्या है, इसके तहत किन-किन फसलों को कवर किया जाता है, और किन परिस्थितियों में मुआवजा दिया जाता है। इसके अलावा, हम इस योजना के कार्यान्वयन और किसानों के लिए इसके लाभों पर भी चर्चा करेंगे।

Objective of the Scheme:

Weather Based Crop Insurance Scheme (WBCIS) का मुख्य उद्देश्य किसानों को संभावित फसल नुकसान के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाना है। इस योजना के तहत, बारिश, तापमान, हवा, आर्द्रता जैसी मौसम की परिस्थितियों को “फ़सल उपज के लिए संकेतक” के रूप में उपयोग किया जाता है। जब मौसम के संकेतकों से फसल को नुकसान होता है, तो किसान को मुआवजा दिया जाता है।

Farmers Covered:

इस योजना में छोटे और बड़े दोनों किसानों को शामिल किया गया है। यह योजना उन्हें उन मौसम की घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करती है जो फसल की उपज को प्रभावित कर सकती हैं।

Crops Covered:

WBCIS योजना के तहत मुख्यतः तीन प्रकार की फसलें कवर की जाती हैं:

  • खाद्यान्न फसलें (अनाज, बाजरा और दालें)
  • तिलहन
  • वाणिज्यिक/बागवानी फसलें

Weather Perils to be Covered:

इस योजना के तहत प्रमुख मौसम के खतरे जिनसे फसल को नुकसान हो सकता है, उन्हें निम्नलिखित के रूप में सूचीबद्ध किया गया है:

  • Rainfall: वर्षा में कमी, अत्यधिक वर्षा, असमय वर्षा, वर्षा के दिन, शुष्क अवधि, शुष्क दिन
  • Temperature: उच्च तापमान (गर्मी), निम्न तापमान
  • Humidity: आर्द्रता में परिवर्तन
  • Wind Speed: तेज हवाएं
  • Other Events: ओलावृष्टि, बादल फटना आदि को भी इस योजना के तहत जोड़ा जा सकता है यदि किसान ने सामान्य कवरेज लिया है।

Period of Risk:

इस योजना के अंतर्गत बीमा अवधि फसल की बुवाई से लेकर उसके परिपक्व होने तक होती है। इस अवधि के दौरान यदि मौसम की प्रतिकूल घटनाएं होती हैं और फसल को नुकसान होता है, तो किसान को मुआवजा दिया जाता है।

Preconditions for Implementation:

इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं, जिनका पालन राज्य और केंद्र सरकार को करना होता है। ये शर्तें सुनिश्चित करती हैं कि किसान को सही समय पर और सही तरीके से लाभ मिल सके।

WBCIS
WBCIS

Notification:

हर फसल मौसम से पहले राज्य सरकारों द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। इसमें निम्नलिखित जानकारी होती है:

  • कौन सी फसलें कवर की जा रही हैं और किन क्षेत्रों में?
  • बीमा राशि, प्रीमियम दरें, और सब्सिडी की जानकारी।
  • विभिन्न फसलों के लिए मौसम के आधार पर बीमा शर्तें।

Selection of Areas & Crops:

फसल और क्षेत्रों के चयन के लिए ऐतिहासिक मौसम डेटा, फसल क्षेत्र, और मौसम के कारण होने वाले नुकसान का आंकलन किया जाता है। इसके अलावा, कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाता है ताकि सही आंकड़े प्राप्त हो सकें।


तालिका: WBCIS योजना के मुख्य बिंदु

विषयविवरण
योजना का नामWeather Based Crop Insurance Scheme (WBCIS)
उद्देश्यकिसानों को मौसम की प्रतिकूल स्थितियों से होने वाले फसल नुकसान से बचाना।
कवर की जाने वाली फसलेंखाद्यान्न, तिलहन, वाणिज्यिक/बागवानी फसलें
कवर की जाने वाली मौसम घटनाएँवर्षा की कमी, अत्यधिक वर्षा, तापमान परिवर्तन, आर्द्रता, तेज हवाएं, ओलावृष्टि आदि
बीमा अवधिफसल की बुवाई से लेकर परिपक्वता तक।
अधिसूचनाराज्य सरकार द्वारा फसल मौसम से एक माह पूर्व जारी।

Notification of Reference Weather Stations (RWS) and Authorized Data Providers:

Weather Based Crop Insurance Scheme में फसल के नुकसान का आंकलन मौसम डेटा के आधार पर किया जाता है। इसलिए, सटीक और मान्यता प्राप्त मौसम डेटा की जरूरत होती है।

  1. Reference Weather Stations (RWS):
    राज्य स्तरीय फसल बीमा समन्वय समिति (SLCCCI) मौसम स्टेशन और वर्षा मापी केंद्रों की दूरी और उपलब्धता के आधार पर Reference Weather Stations (RWS) की मंजूरी देती है। अगर किसी कारणवश RWS से डेटा नहीं प्राप्त हो पाता है, तो बैकअप मौसम स्टेशन (BWS) का इस्तेमाल किया जाता है। फसल मौसम की शुरुआत में इन सभी मौसम स्टेशनों की अधिसूचना जारी की जाती है।
  2. Standards of AWS and ARG:
    सभी मौसम स्टेशन और वर्षा मापी यंत्र, जो Automatic Weather Stations (AWS) और Automatic Rain Gauges (ARG) के रूप में कार्य करते हैं, उनके मानक और मान्यता तय की जाती है। 2015 में इस संदर्भ में एक समिति ने दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनका पालन सभी निजी एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
  3. Claims Settlement:
    सभी दावों का निपटान वास्तविक मौसम डेटा के आधार पर किया जाता है, जो RWS द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। RWS द्वारा रिकॉर्ड किए गए डेटा को बदला नहीं जा सकता, और बीमा कंपनियां यह डेटा राज्य सरकार को उपलब्ध कराती हैं।
See also  Mobikwik Systems IPO Grey Market Premium, Mobikwik IPO: नई ऊँचाइयों की ओर एक कदम

Sum Insured:

बीमा योजना के तहत फसल के लिए बीमित राशि पहले से निर्धारित होती है, जो “स्केल ऑफ फाइनेंस” पर आधारित होती है। इसके अलावा, जिला स्तरीय तकनीकी समिति (DLTC) द्वारा निर्धारित वित्तीय स्केल के अनुसार बीमा राशि तय की जाती है। अगर वित्तीय स्केल की घोषणा नहीं की जाती है, तो बीमित राशि फसल की खेती की लागत पर आधारित होती है और राज्य सरकार इसे तय करती है।

  1. Farmer-wise Sum Insured:
    प्रत्येक किसान के लिए बीमित राशि निर्धारित फसल की बीमित राशि को उनकी खेती की गई भूमि के आकार के आधार पर तय किया जाता है। यह माप हमेशा “हेक्टेयर” में किया जाता है।
  2. Phased Sum Insured:
    फसल के विभिन्न चरणों के लिए बीमित राशि को फसल की बढ़ने की प्रक्रिया के दौरान खर्च के आधार पर विभाजित किया जा सकता है। इससे फसल के बाद के चरणों में नुकसान होने पर किसान को उचित मुआवजा प्राप्त होता है।

Premium Rates & Premium Subsidy:

Weather Based Crop Insurance Scheme के तहत, प्रीमियम दर और प्रीमियम सब्सिडी की जानकारी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के दिशा-निर्देशों के अनुसार तय की जाती है। किसानों को प्रीमियम दरों के बारे में सही जानकारी दी जाती है ताकि वे समय पर बीमा करवा सकें।

Participation of Insurance Companies:

इस योजना को लागू करने में बीमा कंपनियों की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है। WBCIS के तहत, राज्य सरकारें बीमा कंपनियों के साथ मिलकर योजना को प्रभावी ढंग से लागू करती हैं। बीमा कंपनियां मौसम के डेटा का सही उपयोग करके किसानों के दावों का निपटान करती हैं।

Collection of Proposals and Premium Amount:

योजना के तहत किसानों से बीमा प्रीमियम और प्रस्तावों का संग्रहण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के दिशा-निर्देशों के तहत किया जाता है। किसानों को अपनी बीमित राशि और प्रीमियम की पूरी जानकारी समय पर मिलती है, जिससे वे आसानी से अपनी फसल का बीमा करवा सकें।

Fasal Bima Yojana
Fasal Bima Yojana

Weather Based Crop Insurance Scheme की मुख्य जानकारियाँ

विषयविवरण
योजना का नामWeather Based Crop Insurance Scheme (WBCIS)
Reference Weather Stations (RWS)मौसम डेटा के लिए Reference Weather Stations और बैकअप मौसम स्टेशन की अधिसूचना।
बीमित राशि‘स्केल ऑफ फाइनेंस’ या खेती की लागत के आधार पर।
प्रीमियम दर और सब्सिडीप्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के दिशा-निर्देशों के अनुसार।
बीमा कंपनियों की भागीदारीबीमा कंपनियां योजना के कार्यान्वयन और किसानों के दावों के निपटान में शामिल।
किसानों से प्रीमियम संग्रहणPMFBY के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाता है।

Claims Assessment & Settlement:

Weather Based Crop Insurance Scheme के तहत, मौसम संबंधी प्रतिकूल स्थितियों के कारण होने वाले सभी दावों के लिए बीमा कंपनी जिम्मेदार होती है। दावा निपटान की प्रक्रिया मौसम डेटा प्राप्त होने के बाद ही शुरू होती है और इसे योजना के नियमों और शर्तों के अनुसार पूरा किया जाता है।

  1. Uniform Claims for Adverse Weather: अगर किसी विशेष क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की स्थिति उत्पन्न होती है, तो उस क्षेत्र के सभी किसानों को समान अनुपात में फसल नुकसान मानते हुए समान दर से बीमा दावा दिया जाता है। इससे सुनिश्चित होता है कि सभी किसान समान लाभ उठा सकें। बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करती हैं कि दावों का निपटान पारदर्शिता से हो।
  2. Weather Data and Claims:
    सभी दावे सिर्फ मान्यता प्राप्त मौसम स्टेशन यानी Reference Weather Stations (RWS) या बैकअप मौसम स्टेशनों (BWS) द्वारा रिकॉर्ड किए गए मौसम डेटा के आधार पर ही किए जाएंगे। मौसम डेटा का कैलिब्रेशन और मानकीकरण सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होना चाहिए ताकि डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
  3. Claims Processing Procedure:
    बीमा दावों की प्रक्रिया बीमा योजना की शर्तों और भुगतान संरचना के अनुसार होती है। यह प्रक्रिया जिला स्तर पर नोडल शाखाओं/बैंकों से प्राप्त बीमा घोषणाओं पर आधारित होती है। Weather Based Crop Insurance Scheme के अंतर्गत प्रीमियम संग्रहण और बीमा प्रस्ताव की प्रक्रिया प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के समान होती है।
  4. Timely Claims Payment:
    सभी मानक दावे जोखिम अवधि के समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर निपटाए जाने चाहिए। अगर किसी किसान के दस्तावेजों में कोई कमी है तो उसे दावा भुगतान के 30 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
  5. Disputed Claims:
    अगर किसी दावे में कोई विवाद होता है, तो उसे राज्य सरकार के माध्यम से बीमा कंपनी और कृषि विभाग (DAC&FW) द्वारा निपटाया जाता है। सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सभी संबंधित पक्षों पर बाध्यकारी होता है।
See also  LIC New Jeevan Umang Plan(745): सम्पूर्ण जानकारी और लाभ Explained in Hindi

Claims Calculation Formula:

अगर किसी क्षेत्र में वास्तविक मौसम सूचकांक मान (Observed Index) तय मानक (Notified Index) से नीचे या ऊपर चला जाता है, तो दावे की गणना निम्नलिखित सूत्र के अनुसार की जाएगी:

Claims per Unit = (Observed Index – Notified Index) X Notional Payout
Overall Claims = Claims per Unit X Number of Units

यह फार्मूला यह तय करता है कि किसान को कितनी राशि प्रति यूनिट के अनुसार मिलनी चाहिए। इसके अलावा, हर किसान के बीमा कवर के अनुसार उसे दावा भुगतान किया जाता है। नीचे एक तालिका के माध्यम से इस प्रक्रिया को समझाया गया है:

दावे का उदाहरण (Deficit Rainfall Cover)

RUAStrike-1 (mm)Strike-2 (mm)Exit (mm)Notional 1 (Rs/mm)Notional 2 (Rs/mm)Policy Limit (Rs/Hectare)Observed Index
X20015010050806500300
Y20015010050806500120
Z2001501005080650080
  • RUA X: इस क्षेत्र में दावे का भुगतान नहीं किया जाएगा क्योंकि Observed Index 300 है जो निर्धारित Trigger Value से ऊपर है।
  • RUA Y: यहां, Observed Index 120 है, इसलिए दावे की गणना होगी। {(200-150)*50}+{(150-120)*80} = Rs. 4900/। इस किसान के पास 2 हेक्टेयर जमीन है, इसलिए कुल दावा होगा = Rs. 9800/-।
  • RUA Z: यहां Observed Index 80 है, जो Exit स्तर से नीचे है। इस स्थिति में, पूरे बीमा कवर यानी Rs. 6500 प्रति यूनिट का दावा मिलेगा। कुल दावा = Rs. 13000/-।

Modalities for Loss Assessment:

अगर किसी स्थानीय प्राकृतिक आपदा जैसे ओलावृष्टि या बादल फटने की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसके लिए अलग से दावे किए जाते हैं। यह प्रक्रिया प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के दिशानिर्देशों के तहत की जाती है और इसे Add-on/Index-Plus उत्पाद कहा जाता है।

Important Conditions for Risk Coverage:

  1. Misreporting by Banks:
    अगर किसी बैंक शाखा द्वारा किसानों के बीमा कवरेज के बारे में गलत रिपोर्टिंग की जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी केवल संबंधित बैंक की होगी। यह सुनिश्चित करना कि रिपोर्ट सही हो, बैंक की जिम्मेदारी है।
  2. Insurable Interest of Farmer:
    केवल फसल ऋण का वितरण और बीमा प्रस्ताव जमा करना, बिना स्पष्ट इरादे के कि किसान फसल बोएगा, बीमा कंपनी द्वारा जोखिम की स्वीकृति का आधार नहीं बनता। बीमा तभी मान्य होगा जब किसान का फसल पर वास्तविक इंटरेस्ट हो।
State UT Governments Weather Based Crop Insurance Scheme
State UT Governments Weather Based Crop Insurance Scheme

अहम ज़िम्मेदारियाँ

1. Central Government की भूमिका

केंद्र सरकार Weather Based Crop Insurance Scheme की निगरानी और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके तहत निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:

  • Technical Support Unit (TSU) का गठन: WBCIS के कार्यान्वयन की निगरानी, उत्पाद संरचना, मानकीकरण और प्रीमियम दर/सब्सिडी के युक्तिकरण के लिए TSU का गठन किया जाता है। यह इकाई विभिन्न निर्देशों का पालन सुनिश्चित करती है और बीमा कंपनियों को दिशानिर्देश प्रदान करती है।
  • राष्ट्रीय डेटा ग्रिड का निर्माण: योजना के लिए सांख्यिकीय डेटा एकत्र करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय डेटा ग्रिड का निर्माण भी सरकार की जिम्मेदारी होती है।
  • अन्य भूमिकाएं PMFBY के निर्देशों के अनुसार होती हैं।
See also  PAN Card 2.0: सभी लोगों को बनाना ही पड़ेगा सबके लिए है जरूरी, क्यूंकि ये है एक नया डिजिटल युग का आगाज

2. State / UT Governments की ज़िम्मेदारियाँ

राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों का मुख्य उद्देश्य योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए निम्नलिखित कार्य करना होता है:

  • फसल कैलेंडर और पैकेज का विवरण: पहली बार योजना के तहत शामिल किए गए फसलों और क्षेत्रों का विवरण तैयार करना और कम से कम 25 वर्षों का मौसम डेटा प्रस्तुत करना।
  • तकनीकी समिति का गठन: मौसम आधारित बीमा योजना के लिए आवश्यक उत्पादों का मूल्यांकन और किसानों को दिए जाने वाले लाभों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की एक तकनीकी समिति का गठन।
  • स्वचालित मौसम स्टेशनों का विस्तार: राज्य सरकारों को मौजूदा स्वचालित मौसम स्टेशन नेटवर्क को सशक्त बनाना और उसे विस्तार देना होता है ताकि वास्तविक समय पर मौसम डेटा प्राप्त हो सके।

3. Insurance Companies की ज़िम्मेदारियाँ

बीमा कंपनियों की ज़िम्मेदारी निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर आधारित होती है:

  • अलग खाता खोलना: योजना के तहत सभी लेन-देन के लिए एक अलग खाता खोलना ताकि सरकारी एजेंसी द्वारा ऑडिट किया जा सके।
  • क्लेम प्रोसेसिंग और भुगतान: मौसम डेटा प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर दावों को अंतिम रूप देना और भुगतान करना, बशर्ते कि सरकार से सब्सिडी प्राप्त हो चुकी हो।

4. Financial Institutions/Banks की भूमिका

बैंकों और वित्तीय संस्थानों का बीमा प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान होता है, विशेषकर नोडल बैंकों की निम्नलिखित भूमिकाएँ होती हैं:

  • दावों का भुगतान: फसल बीमा कवर से वंचित किसानों के दावों का भुगतान सुनिश्चित करना, यदि ऋण देने वाले बैंकों द्वारा प्रीमियम की कटौती नहीं की गई हो।
  • प्रीमियम की समय पर जमा: यदि नोडल बैंकों ने प्रीमियम की राशि समय सीमा के बाद रखी हो, तो वे बीमा कंपनियों को देरी के लिए ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।

5. Weather Data Providers की भूमिका

मौसम डेटा प्रदाताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि योजना के तहत सभी दावे मौसम डेटा पर आधारित होते हैं। उनकी मुख्य ज़िम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं:

  • मौसम स्टेशनों का रखरखाव: सभी स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS) और स्वचालित वर्षा गेज़ (ARG) का रखरखाव और मानक के अनुसार उनकी स्थापना सुनिश्चित करना।
  • डेटा की गुणवत्ता बनाए रखना: मौसम डेटा की गुणवत्ता को बनाए रखना और सही समय पर डेटा का प्रसार और सत्यापन करना।
  • स्वतंत्र रूप से कार्य करना: डेटा प्रदाताओं को बीमाकर्ता (बीमा कंपनी) और बीमित (किसान) से स्वतंत्र रहकर कार्य करना चाहिए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

महत्वपूर्ण जानकारी की तालिका

एजेंसीभूमिका
Central GovernmentTSU का गठन, उत्पाद मानकीकरण, दिशानिर्देश जारी करना
State / UT Governmentsफसल कैलेंडर का निर्माण, तकनीकी समिति का गठन
Insurance Companiesक्लेम प्रोसेसिंग, अलग खाता खोलना
Banks/Financial Institutionsप्रीमियम का समय पर संग्रहण, दावों का भुगतान
Weather Data Providersमौसम स्टेशनों का रखरखाव, डेटा गुणवत्ता सुनिश्चित करना

Weather Based Crop Insurance Scheme Apply Process

प्रक्रिया कैसे करें:
किसान “Weather Based Crop Insurance Scheme (WBCIS)” के तहत आसानी से बीमा के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह योजना किसानों को फसल में खराब मौसम की वजह से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है।

आवेदन की प्रक्रिया:

  1. पंजीकरण
    • किसान अपने नजदीकी बैंक शाखा, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित केंद्रों पर आवेदन कर सकते हैं।
    • जिन किसानों ने कृषि ऋण लिया है, उनके लिए बैंक द्वारा स्वत: बीमा पॉलिसी लागू होती है।
  2. आवश्यक दस्तावेज
    • आधार कार्ड
    • बैंक पासबुक
    • भूमि स्वामित्व के कागजात
    • बीमित फसल और बीमित राशि से संबंधित जानकारी
  3. ऑनलाइन आवेदन
    किसान सीधे PMFBY की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से भी पंजीकरण कर सकते हैं। वेबसाइट पर जाकर WBCIS चुनें और सभी आवश्यक विवरण भरें।
  4. प्रीमियम भुगतान
    बीमा प्रीमियम का एक हिस्सा किसान को भरना होता है, जबकि बाकी हिस्सा सरकार द्वारा अनुदानित किया जाता है।
  5. पुष्टि और दावा प्रक्रिया
    आवेदन की पुष्टि के बाद, किसान को मौसम आधारित सूचनाओं के आधार पर पॉलिसी कवर मिलता है। किसी भी नुकसान की स्थिति में दावा प्रक्रिया के लिए आवेदन भी ऑनलाइन वेबसाइट से किया जा सकता है।

योजना की विशेषताएं:

  • योजना का बीमा कवर मौसम से जुड़े जोखिमों जैसे तापमान, बारिश, और नमी के आधार पर तय होता है।
  • दावों का आकलन “एरिया अप्रोच” के आधार पर किया जाता है, जिससे पूरी बीमित क्षेत्र इकाई में समान नुकसान मानकर भुगतान होता है।

अधिक जानकारी और आवेदन के लिए आप यहां क्लिक करें

यह प्रक्रिया किसानों के लिए सरल और तेज़ है, ताकि वे अपने फसल से जुड़े जोखिमों से सुरक्षित रह सकें और मौसम के अनुसार लाभ प्राप्त कर सकें।

Crop Insurance Scheme
Crop Insurance Scheme

Conclusion:

Weather Based Crop Insurance Scheme किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है, जो उन्हें मौसम की प्रतिकूल घटनाओं से बचाती है। इसके तहत, किसानों को उन घटनाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है, जो उनकी फसल की उपज को प्रभावित कर सकती हैं। इस योजना को अपनाकर किसान अपने वित्तीय नुकसान को कम कर सकते हैं और अपनी आजीविका को सुरक्षित बना सकते हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस योजना का लाभ उठाएं और अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारियों से इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।

FAQ’s:

1. Weather Based Crop Insurance Scheme क्या है?
WBCIS किसानों को मौसम की प्रतिकूल घटनाओं से बचाने के लिए एक सरकारी योजना है, जिसमें मौसम के संकेतकों के आधार पर किसानों को मुआवजा दिया जाता है।

2. इस योजना में कौन सी फसलें कवर की जाती हैं?
इस योजना के तहत खाद्यान्न, तिलहन, और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों को कवर किया जाता है।

3. योजना के तहत किन मौसम की घटनाओं से कवर मिलता है?
इस योजना के तहत वर्षा की कमी, अत्यधिक वर्षा, तापमान परिवर्तन, आर्द्रता, तेज हवाएं आदि को कवर किया जाता है।

4. इस योजना का लाभ कैसे लिया जा सकता है?
किसान अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारियों या बीमा कंपनियों से संपर्क कर इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

5. बीमा अवधि कितनी होती है?
फसल की बुवाई से लेकर उसके परिपक्व होने तक बीमा अवधि होती है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Similar Posts