RBI Monetary Policy: Repo Rate, CRR में 50 bps की कटौती, GDP – जानें कितना शेयर बाजार डूबेगा और कर्ज पर असर
आज के समय में, RBI Monetary Policy (आरबीआई की मौद्रिक नीति) एक ऐसा विषय बन गया है, जिसे हर आर्थिक गतिविधियों से जुड़े लोग करीब से देखते हैं। भारत की आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति (Inflation) और जीडीपी ग्रोथ सीधे-सीधे आरबीआई की नीतियों पर निर्भर करते हैं। आरबीआई का हालिया निर्णय, जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया, लेकिन सीआरआर में कटौती की गई है, इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।
इस लेख में, मैं आपको आरबीआई की मौद्रिक नीति के हालिया फैसले, इसके अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं को विस्तार से समझाऊंगा। यहां हम चर्चा करेंगे कि रेपो रेट में बदलाव क्यों नहीं हुआ, सीआरआर में कटौती का मतलब क्या है, और इससे आपकी जेब पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही, हम जीडीपी ग्रोथ, मुद्रास्फीति और लिक्विडिटी जैसे पहलुओं को भी समझेंगे।
Contents
What is RBI Monetary Policy?
RBI Monetary Policy का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है। यह नीति देश के मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बैंकों के बीच लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए बनाई जाती है। आरबीआई हर दो महीने में Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक आयोजित करता है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति के मुख्य घटक
घटक | अर्थ | वर्तमान स्थिति |
---|---|---|
रेपो रेट (Repo Rate) | बैंकों के लिए आरबीआई से उधार लेने की दर | 6.5% |
सीआरआर (CRR) | बैंकों को अपनी जमा का कुछ प्रतिशत रिजर्व में रखना | 4% (कटौती के बाद) |
एसएलआर (SLR) | बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में अनिवार्य निवेश | 18% |
मुद्रास्फीति (CPI) | उपभोक्ता मूल्य सूचकांक | 4.8% |
Why No Change in Repo Rate?
रेपो रेट पर कोई बदलाव नहीं किया गया क्योंकि मुद्रास्फीति पर अभी भी खतरा मंडरा रहा है। आरबीआई ने कहा कि अगर रेपो रेट को घटाया जाता है, तो बाजार में कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा, जिससे खर्च बढ़ेगा और Inflation को और बढ़ावा मिल सकता है।
रेपो रेट का महत्व
रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है।
- रेपो रेट घटने पर: लोन सस्ता होता है, ईएमआई कम हो जाती है।
- रेपो रेट बढ़ने पर: लोन महंगा होता है, बचत पर अधिक ब्याज मिलता है।
पिछले 22 महीनों में यह 11वीं बार है जब रेपो रेट को 6.5% पर ही रखा गया है। कोविड के दौरान इसे 4% तक लाया गया था ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके।
Impact of CRR Reduction on Economy
सीआरआर (Cash Reserve Ratio) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया गया है। इससे बैंकों को ज्यादा लोन देने की अनुमति मिली है, जिससे बाजार में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी आई है।
सीआरआर क्या है और इसका महत्व
- सीआरआर: बैंकों को अपनी जमा का एक निश्चित प्रतिशत रिजर्व के रूप में आरबीआई के पास रखना होता है।
- कटौती का प्रभाव:
- बैंक अब ज्यादा लोन दे पाएंगे।
- बाजार में नकदी बढ़ेगी, जिससे जीडीपी को बढ़ावा मिलेगा।
- बैंकों को अपने जमा पर अधिक ब्याज नहीं देना पड़ेगा, जिससे उनका मुनाफा बढ़ सकता है।
GDP Growth Outlook: A Concern
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया है। यह फैसला हालिया जीडीपी डेटा में गिरावट को देखते हुए लिया गया है।
- Q2 GDP ग्रोथ: 5.44% (उम्मीद से कम)।
- Q3 अनुमान: फेस्टिव सीजन और ग्रामीण मांग के चलते सुधार की संभावना।
- Q4 अनुमान: 7.2%।
आरबीआई ने कहा है कि डिमांड में सुधार हो रहा है, लेकिन मुद्रास्फीति अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
Also See: SWP Help With Retirement Planning
How Does This Affect Borrowers?
- लोन और ईएमआई:
रेपो रेट में कोई बदलाव न होने से होम लोन और कार लोन पर ईएमआई कम नहीं होगी। - बचत पर ब्याज:
सीआरआर में कटौती के चलते हो सकता है कि बैंकों द्वारा सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरों में कमी आए।
Why Liquidity Was a Problem?
आरबीआई ने हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) से डॉलर बेचकर रुपये की स्थिरता बनाए रखी। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी की कमी हो गई थी। लेकिन अब सीआरआर में कटौती कर इस कमी को दूर किया गया है।
Key Takeaways from RBI Monetary Policy
घटक | हालिया निर्णय | प्रभाव |
---|---|---|
रेपो रेट | 6.5% पर स्थिर | ईएमआई में कोई बदलाव नहीं। |
सीआरआर | 4% (0.5% की कटौती) | बैंकों को 1.16 लाख करोड़ की लिक्विडिटी। |
जीडीपी ग्रोथ | 6.6% (पहले 7.2%) | धीमी ग्रोथ की उम्मीद। |
मुद्रास्फीति | 4.8% (बढ़ोतरी) | रेपो रेट में बदलाव की गुंजाइश नहीं। |
FAQs
1. रेपो रेट में बदलाव क्यों नहीं किया गया?
मुद्रास्फीति के खतरे को देखते हुए, आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखा है।
2. सीआरआर में कटौती से क्या फायदा होगा?
सीआरआर कटौती से बैंकों को अधिक लोन देने का मौका मिलेगा, जिससे बाजार में नकदी बढ़ेगी।
3. मौद्रिक नीति समिति (MPC) में कितने सदस्य होते हैं?
एमपीसी में कुल 6 सदस्य होते हैं – 3 आरबीआई के और 3 सरकार द्वारा नामांकित।
4. क्या बैंकों की ब्याज दरों पर असर होगा?
संभावना है कि सीआरआर कटौती के चलते सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरें कम हो सकती हैं।
5. जीडीपी ग्रोथ के क्या अनुमान हैं?
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ को घटाकर 6.6% कर दिया है।